क्योंकि मेरे लिए ये हुई नही अभी भारी है
एक कविता का सोंचता हूँ पाठ करुँ
पर पशेमां हूँ, कैसे स्टार्ट करुँ?
क्या आडवाणी की वाणी का आह्नाद करुँ
या मोदी को मंडित, मस्जिद बरबाद करुँ
अयोध्या गोधरा सच हैं, 'अटल' हैं
पर कविता में कहाँ इनका हल है?
या मोदी को मंडित, मस्जिद बरबाद करुँ
अयोध्या गोधरा सच हैं, 'अटल' हैं
पर कविता में कहाँ इनका हल है?
राहुल की राह में आह्लादित हुं
या वंशवाद का प्रतिवाद करुँ
कहते हैं इनका रस्ता देखता पूरा मुल्क है
पर क्या मेरी कलम पे भी नेहरू का शुल्क है?
या वंशवाद का प्रतिवाद करुँ
कहते हैं इनका रस्ता देखता पूरा मुल्क है
पर क्या मेरी कलम पे भी नेहरू का शुल्क है?
हसिये के हाशिये पे गीत लिखुँ
एक कदम आगे, दो पीछे की रीत लिखुँ
हाथी के साथी आज असमर्थ हैं
इनपर भी कटाक्ष वाली कविता कहना व्यर्थ है |
एक कदम आगे, दो पीछे की रीत लिखुँ
हाथी के साथी आज असमर्थ हैं
इनपर भी कटाक्ष वाली कविता कहना व्यर्थ है |
असमंजस की स्थिति जस् है
करुणा की नदी न टस है, न मस् है
मेरे इसी झोल-झंकार में देखो बीट गया
और बेकार मेरा एक और गीत गया |
करुणा की नदी न टस है, न मस् है
मेरे इसी झोल-झंकार में देखो बीट गया
और बेकार मेरा एक और गीत गया |
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